जिस मोड़ पर किए थे हमने क़रार बरसों ||२||
उससे लिपट के रोये ||२|| दीवानावार बरसों
जिस मोड़ पर किए थे...
तुम गुलसिताँ से आए ज़िक्र-ए-ख़िज़ाँ ही लाए ||२||
हमने क़फ़स में देखी ||२|| फ़स्ल-ए-बहार बरसों
जिस मोड़ पर किए थे...
होती रही है यूँ तो बरसात आँसुओं की ||२||
उठते रहे हैं फिर भी दिल से ग़ुबार बरसों
जिस मोड़ पर किए थे...
वो संगदिल था कोई बेगाना-ऐ-वफ़ा था ||२||
करते रहें हैं जिसका ||२|| हम इंतजार बरसों
जिस मोड़ पर किए थे हमने क़रार बरसों
उससे लिपट के रोये ||२|| दीवानावार बरसों
जिस मोड़ पर किए थे, हमने क़रार बरसों
जिस मोड़ पर किए थे...